Maheshwar Sutra- माहेश्वर सूत्र- Sanskrit Vyakaran

 Maheshwar Sutra- माहेश्वर सूत्र-Sanskrit -Vyakaran

      पाणिनि सूत्र/ शिव सूत्र/ शिव सूत्र जाल :-

चौदह सूत्र माहेश्वर सूत्र हैं । इन माहेश्वर सूत्रों से अणादि 42 प्रत्याहारों की रचना होती है। माहेश्वर सूत्र शंकर के डमरू से ध्वनित हुए हैं इसलिए इन चौदह सूत्रों को माहेश्वर सूत्र कहते हैं। भगवान शंकर का अपर नाम माहेश्वर है इसलिए इस सूत्र का नाम Maheshwar Sutra पड़ा ।

 

Maheshwar Sutra- माहेश्वर सूत्र

माहेश्वर सूत्र:-

  1. अइउण्
  2. ऋलृक्
  3. एओङ्
  4. ऐऔच्
  5. हयवरट्
  6. लण्
  7. ञमङणनम्
  8. झभञ्
  9. घढधष्
  10. जबगडदश्
  11. खफछठथचटतव्
  12. कपय्
  13. शषसर्
  14. हल्

इति माहेश्वराणि सूत्राणि।

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माहेश्वर सूत्र की व्याख्या:-  Sanskrit vyakaran 

शंकर के डमरू से जो चौदह ध्वनियां निकली उन ध्वनियों को महर्षि पाणिनी ने क्रमबद्ध करके सूत्र शैली में माहेश्वर सूत्र की रचना की ।

नृत्तावसाने नटराजराजो ननाद ढक्कां नवपञ्चवारम्।

उद्धर्तुकामः सनकादिसिद्धानेतद्विमर्शे शिवसूत्रजालम्।।

यह माहेश्वर सूत्र शिवसूत्रजाल के नाम से भी जाना जाता है । ये चौदह माहेश्वर सूत्र बहुत महत्वपूर्ण है । व्याकरण शास्त्र की सम्पूर्ण जानकारी के लिए इनका ज्ञान होना बहुत आवश्यक है । या दूसरे शब्दों में कहें, यह एक संस्कृत की वर्णमाला है।

जैसे किसी भाषा के व्याकरण की जानकारी के लिए हमें उस भाषा की वर्णमाला का ज्ञान होना बहुत आवश्यक है । ठीक उसी तरह संस्कृत भाषा की जानकारी के लिए संस्कृत वर्णमाला की जानकारी होना बहुत आवश्यक है । माहेश्वर सूत्रों से हमें वर्णों का ज्ञान , थोड़े वर्णों के उच्चारण मात्र से हो जाता है जैसे अच् कहने पर हमें 9 स्वरों का बोध हो जाता है ।

माहेश्वर सूत्र में अन्तिम हल् वर्ण की इत् संज्ञा हलन्त्यम् सूत्र से होती है, और तस्य लोपः से लोप कर दिया जाता है।

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Question – माहेश्वर सूत्र में कौन सा इत् संज्ञक वर्ण दो बार आया है?

  1. य्
  2. श्
  3. ण्
  4. ट्

उत्तर – ण् 

 
 
Question – माहेश्वर सूत्र को लिपिबद्ध किसने किया? 
 
  1. महर्षि
  2. कात्यायन
  3. महर्षि पतंजलि
  4. महर्षि पाणिनि
उत्तर – महर्षि पाणिनि
महत्वपूर्ण तथ्य:-
  • माहेश्वर सूत्र को लेकर महर्षि पाणिनि ने अष्टाध्यायी की रचना की।
  • अष्टाध्यायी में जो कमियां रह गई उसे कमियों को दूर करने के लिए महर्षि कात्यायन ने वार्तिक की रचना की।
  • अष्टाध्यायी और वार्तिक में जो अपवाद थोड़े-थोड़े रह गए थे उन अपवादों को दूर करने के लिए महर्षि पतंजलि ने महाभाष्य की रचना की।
  • महर्षी पाणिनि महर्षि कात्यायन महर्षि पतंजलि को त्रिमुनि की संज्ञा दी गई है।
  • ये महर्षि व्याकरण शास्त्र के  त्रिमुनि कहलाते हैं

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