Uddhav Prasang Part-2

                     Uddhav-Prasang जगन्नाथ दास रत्नाकर- महाकवि रत्नाकर जी का जन्म 1966 ईस्वी में काशी के एक प्रतिष्ठित वैश्य परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम पुरुषोत्तम दास था । जो भारतेंदु हरिश्चंद्र जी के परम मित्र थे । उनकी मृत्यु हरिद्वार में 21 जून 1932 … Read more

Meghdoot Shlok 16 to 20

                    Meghdoot-shlok      पूर्वमेघ श्लोक 16 से 20 तक व्याख्या –   पूर्वमेघ की कहानी:- कोई यक्ष कार्य में प्रमाद करने के कारण अपने प्रभु कुबेर के शाप से कैलाश पर्वत पर अवस्थित अलकापुरी से 1 वर्ष के लिए निष्कासित हुआ और निष्कासित यक्ष अपनी प्रेमिका … Read more

Udhav prasang – Part-1

                      उद्धव प्रसंग    जगन्नाथ दास रत्नाकर-  प्रस्तुत पद्यांश उद्धव शतक से udhav Prasang नामक शीर्षक द्वारा हमारी पाठ्य पुस्तक में लिखा गया है। महाकवि रत्नाकर जी का जन्म 1966 ईस्वी में काशी के एक प्रतिष्ठित वैश्य परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम … Read more

Meghdoot shlok 11 to 15

                  Meghdoot-shlok   पूर्वमेघ श्लोक 11 से 15 तक व्याख्या – पूर्वमेघ की कहानी:- कोई यक्ष कार्य में प्रमाद करने के कारण अपने प्रभु कुबेर के शाप से कैलाश पर्वत पर अवस्थित अलकापुरी से 1 वर्ष के लिए निष्कासित हुआ और निष्कासित यक्ष अपनी प्रेमिका से बिछड़ने … Read more

Shodh prabandh ke ruprekha

                शोध प्रबंध के रूपरेखा    प्यारे छात्र छात्राओं यह shodh prabandh ke ruprekha आपको अपनी लघु शोध प्रबंध बनाने में काफी सहायता प्रदान करेगा।            भवभूति के रूपको में अर्थप्रकृति, अवस्था एवं संधि – एक परिशीलन       पी०- एच० डी० (संस्कृत) में … Read more

Yamuna chhavi

                YAMUNA CHHAVI    तरनि-तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाये।  झुके कूल सों जल परसन हित मनहुँ सुहाये ।।  किधौं मुकुर मैं लखत उझकि सब निज-निज सोभा।  कै प्रनवत जल जानि परम पावन फल लोभा।।  मनु आतप वारन तीर कौ सिमिटि सबै छाये रहत।  के हरि सेवा हित … Read more

Prem Madhuri

                             प्रेम-माधुरी    भारतेंदु हरिश्चंद्र  –  भारतेंदु हरिश्चंद्र अनेक भाषाओं में कविता करते थे परंतु ब्रजभाषा में इनका अलौकिक अधिकार था। जिसमें श्रृंगार रचना करने में यह सिद्ध हस्त कवि थे । केवल प्रेम को आधार बनाकर उनकी रचनाओं के सात संग्रह … Read more

भोजस्यौदार्यम्

                    भोजस्यौदार्यम्  राजा भोज की उदारता – ततः कदाचिद् द्वारपाल अगत्य महाराजं भोजं प्राह ‘देव, कौपीनेषशो विद्वान् द्वारि वर्तते’ इति। राजा ‘प्रवेशय’ इति प्राह:। चेतः प्रविष्टः सः कविः भोजमालोक्य अद्य मे दारिद्र्यनाशो भविष्यतीति मत्वा तुष्टो हर्षाश्रुणि मुमोच। राजा तमालोक्य प्राह-‘कवे, किं दिशि’ इति। ततः कविराः- राजन ! … Read more

Meghdoot मेघदूत

                       Meghdoot-shlok पूर्वमेघ श्लोक 6 से 10 तक व्याख्या – पूर्वमेघ की कहानी:- कोई यक्ष कार्य में प्रमाद करने के कारण अपने प्रभु कुबेर के शाप से कैलाश पर्वत पर अवस्थित अलकापुरी से 1 वर्ष के लिए निष्कासित हुआ और निष्कासित यक्ष अपनी प्रेमिका से … Read more

Meghdoot – Shlok

                Meghdoot – Shlok पूर्वमेघ की कहानी:-                  कोई यक्ष कार्य में प्रमाद करने के कारण अपने प्रभु कुबेर के शाप से कैलाश पर्वत पर अवस्थित अलकापुरी से 1 वर्ष के लिए निष्कासित हुआ और निष्कासित यक्ष अपनी प्रेमिका से बिछड़ने … Read more