Meghdoot – भौगोलिक परिचय

मेघदूत में आए हुए भौगोलिक शब्दों का परिचय :-

meghdoot में यक्ष अपनी प्रियतमा की स्मृति से शोकाकुल होकर बहुत अधीर हो गया है- यक्ष के कामातुर होने से उसे चेतन और अचेतन की सुध ना रही। यक्ष मेघ से अपनी प्रियतमा तक संदेश पहुंचाने के लिए मेघ की सुन्दरता , मेघ के गुण, आदि का बखान करता है । इसके बाद यक्ष मेघ के साथ जाने वाले साथियों का वर्णन करता है। आगे मेघदूत खण्डकाव्य में  आये हुए प्राचीन स्थल तथा नदियों के वर्तमान नाम और स्थिति को  क्रमशः  से जानेंगे । क्योंकि प्राचीन ग्रंथों में जो नाम दिए गए आज वह नाम परिवर्तित हो गयें है –

 

अलका :-

 

यह कैलास पर्वत पर अवस्थित यक्षों की पुरी है। मानसरोवर भी इसी के निकट माना गया है। किन्तु आजकल जो मानसरोवर उपलब्ध है, उसके आस-पास इस नगरी का कोई चिह्न नहीं मिलता ।

 

अवन्ति :-

 

आधुनिक मालवा का पश्चिमी हिस्सा । इसकी राजधानी उज्जयिनी थी ।

 

आम्रकूट :-

 

अमरकण्टक पर्वत (ऊँचाई ३४६८ फीट, मध्यभारत) । यह नर्मदा नदी का उद्गम स्थान है।

 

उज्जयिनी :-

 

यह मालव देश की राजधानी थी। इसे अवन्ती, अवन्तिका और विशाला भी कहते हैं। इसका आधुनिक नाम उज्जैन है। यह अयोध्या आदि सात पुरियों में से एक है ।

 

कनखल :-

 

यह हरिद्वार का निकटवर्ती तीर्थ स्थान है। इसके सम्बन्ध में स्कन्दपुराण मत है- ‘खला को नात्र मुक्ति वै भजते तत्र मज्जनात्’ ।

 

 

कुरुक्षेत्र :-

 

यह स्थाण्वीश्वर (थानेसर) के दक्षिण-पूर्व में अवस्थित मैदान है। यहीं पर महाभारत युद्ध हुआा था।

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कैलास :-

 

बीस हजार फीट से भी अधिक ऊँचा यह पर्वत हिमालय के उत्तर में अवस्थित है। पुराण में इसे देव-भूमि कहा गया है। इसके दक्षिण में मान-सरोवर है। यह शंकर जी का निवास-स्थल बताया जाता है।

 

कौञ्चरन्ध्र :-

 

Meghdoot में यह स्थान हिमालय से कैलास की ओर मानसरोवर में जाने का कोई पहाड़ी दर्रा है; सम्भवतः ‘लिपूलेख’ दर्रें का पुराना नाम है। पुराणों में प्रसिद्ध है कि कार्तिकेय ने क्रौञ्चपर्वत का विदारण किया था।

 

गन्धवती :-

 

उज्जयिनी के पास बहने वाली एक छोटी नदी, जो शिप्रा से मिली हुई है।

 

गम्भीरा :-

 

मालवा में बहने वाली एक नदी, शिप्रा की शाखा ।

 

चरणन्यास :-

 

हरिद्वार के निकटवर्ती एक छोटी पहाड़ी (हर की पैड़ी)। कुछ लोगों के अनुसार इसे कैलास के पास होना चाहिए ।

 

चर्मण्वती :-

 

बिन्ध्यपर्वत के वायव्यकोण से निकली हुई एक नदी। इसका आधुनिक नाम चम्बल है। राजस्थान का प्रसिद्ध नगर कोटा इसी के तट पर बसा हुआ है। पुराणों के अनुसार राजा रन्तिदेव के गवालम्भ यज्ञ से इसकी उत्पत्ति हुई है।

 

जाह्नवी :-

 

यह हिमालयस्य गंगावतार (गंगोत्री) से निकली हुई महानदी है। इसे गंगा और भागीरथी भी कहते हैं।

 

दशपुर :-

 

यह चर्मण्वती नदी के उत्तर माग में अवस्थित, पौराणिक राजा रन्तिदेव का नगर कहा जाता है। इसका आधुनिक नाम ‘मन्दसोर’ है। कोई दसे ‘धौलपुर’ भी कहते हैं।

 

दशार्ण :-

 

यह मालवा का पूर्वी हिस्सा है। इसकी राजधानी विदिशा (आधुनिक भिलसा) थी। इस क्षेत्र में वेत्रवती (बेतवा) नदी बहती है। कुछ लोग वर्तमान छत्तीसगढ़ को ही दशार्ण मानते हैं।

 

देवगिरि :-

 

आधुनिक देवगढ़ जो उज्जैन तथा मन्दसोर के बीच में स्थित है। कुछ लोग इसे दौलताबाद कहते हैं ।

 

निर्विन्ध्या :-

 

विन्ध्याचल से निकली हुई एक नदी। कुछ लोगों के अनुसार मालवा में बहने वाली पार्वती नदी ही निर्दिन्ध्या है।

 

नीचैर्गिरि :-

 

यह संभवतः विदिशा (भिलसा) का निकटवर्ती कोई पर्वत है। कुछ लोग उदयगिरि को ही नीचैर्गिरि मानते हैं ।

 

ब्रह्मावर्त :-

 

यह सरस्वती और दृषद्वती नदियों के बीच का प्रदेश है। आजकल कानपुर के समीपवर्ती बिठूर को ब्रह्मावर्त कहा जाता है।

 

मानस :-

 

कैलास पर्वत पर ब्रह्मा द्वारा निर्मित एक सरोवर; जिसे आजकल मान-सरोवर कहते हैं।

 

माल :-

 

छत्तीसगढ़ के रतनपुर नगर के निकटवर्ती माल्दा प्रदेश को माल कहा जाता है। कुछ लोग इसे ‘पठारी प्रदेश’ मानते हैं।

 

शिप्रा :-

 

उज्जैन में बहने वाली एक नदी। गन्धवती तथा गम्भीरा इसी की सहायक नदियाँ हैं।

 

सरस्वती :-

 

यह हिमालय से निकली हुई नदी है, जो कुरुक्षेत्र के वायव्य कोण में बहती थी। यह आजकल लुप्त है ।

 

सिन्धु :-

 

मालवा में बहने वाली काली सिन्धु, जो चम्बल नदी की एक शाखा है।

 

हिमालय :-

 

यह भारत के उत्तर में लगभग २५०० किलोमीटर की लम्बाई और ५००० किलोमीटर की चौड़ाई तक फैला हुआ प्रसिद्ध हिमालय पर्वत है। इसका सर्वोच्च शिखर गौरीशंकर ८७२० मीटर ऊँचा है।

 

यमुना :-

 

उत्तर भारत की एक प्रसिद्ध नदी जो हिमालय से निकलकर प्रयाग में गंगा से मिलती है।

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रामगिरि :-

 

मध्यप्रदेश के रामगढ़ पर्वत को रामगिरि माना गया है। मल्लिनाथ ने -इसे चित्रकूट लिखा है। कुछ लोग नागपुर के निकटवर्ती रामटेक पर्वत को – रामगिरि मानते हैं।

 

रेवा :-

 

यह प्रसिद्ध नदी नर्मदा का नाम है, जो विन्ध्याचल के पूर्व दिशा में अव-स्थित मेकल पर्वत (अमरकण्टक) से निकली है। यह ८००० कोस लंबी है।

 

वननदी :-

 

मालवा की बेस नदी, जो भिलसा के निकट बेतवा नदी से मिलती है। कुछ लोग इसे शिप्रा से मिलने वाली ‘पार्वती’ नदी मानते हैं।

 

विदिशा :-

 

यह दशार्ण देश की राजधानी थी। इसे आजकल भिलसा कहते हैं।

 

विन्ध्य :-

 

आर्यावर्त और दाक्षिणात्य देश के बीच में अवस्थित विन्ध्य पर्वत । यह मात कुलपर्वतों में से एक है।

 

विशाला :-

इसे अवन्ती, अवन्तिका और विशाला भी कहते हैं। इसका आधुनिक नाम उज्जैन है। यह अयोध्या आदि सात पुरियों में से एक है ।

 

 

Meghdoot में वर्णित नदी वेत्रवती :-

 

आधुनिक बेतवा नदी, जो विन्ध्याचल के उत्तरी माग से निकलकर मालव और प्रयाग के नैर्ऋत्य भाग को आप्लावित करके यमुना में मिलती है।

 

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