Hanuman Garhi – हनुमान गढ़ी
यदि हिन्दू धर्म में देवताओं की बात करते हैं तो हनुमान जी नाम आना स्वाभाविक है। वैसे भारतवर्ष में हनुमानजी के मन्दिर तो बहुत है, लेकिन Hanuman Garhi में दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर का ज्यादा महत्व है।
हनुमान मंदिरों में कुछ प्रमुख हनुमान मंदिर के बारे में आज हम चर्चा करेंगे। जिनका आज कलयुग में महत्व ज्यादा है।
हनुमान मंदिर –
हनुमान मंदिरों में हम आज तीन हनुमान गढ़ी मन्दिरों के बारे में जानेंगे। जो हनुमान के अलग-अलग स्वरूपों का वर्णन करेंगे।
1- अयोध्या हनुमान गढ़ी मन्दिर –
अयोध्या स्थित हनुमान गढ़ी मंदिर में प्रतिवर्ष लाखों लोग दर्शन करने आते हैं। यह हनुमान मंदिर 10वीं शताब्दी से भी प्राचीन मंदिर है। यहां हनुमान जी अपनी माता के गोद में बैठ हुए स्थापित हुए हैं। हनुमान जी की प्रतिमा अकल्पनीय, अद्भुत, दर्शनीय और अलौकिक छवि में विराजमान है। इस मन्दिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि सबसे पहले Hanuman Garhi में हनुमानजी के दर्शन करके लोग राम मंदिर में राम के बाल स्वरूप विग्रह का दर्शन करते हैं। मुगल आक्रान्ताओं ने इस हनुमान गढ़ी पर कई बार आक्रमण किया । लेकिन आक्रान्ताओं को बार बार पराजय मिली। कई बार मन्दिर को बम से उड़ानें की कोशिश की गयी थी । लेकिन उनका हर दुस्साहस असफल रहा।
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हनुमान गढ़ी के मन्दिर में दर्शन के लिए आप सभी को 76 सीढ़ीयों को चढ़कर हनुमान जी के बैठे स्वरूप का आत्मसात् कर सकते हैं।
– ( ॐ हं हनुमते नमः )
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2- प्रयागराज हनुमान मन्दिर –
- बड़े हनुमान मंदिर
- लेटे हनुमान मंदिर
- किले वाले हनुमान मंदिर
- बांध वाले हनुमान मंदिर
जो धरातल से 8 से 10 फुट नीचे लेटे अवस्था में हनुमानजी विराजमान है । यहां पर आने वाला हर श्रद्धालु संगम में स्नान करके बड़े हनुमान जी का भाव के साथ दर्शन करता है।
कुम्भ, महाकुंभ या कुंभ मेला ( Kumbh mela)-
महाकुंभ में श्रद्धालुओं का रेला लगा रहता है। जिसको देखते हुए सरकार ने यहां पर कारीडोर बनाने का संकल्प लिया है। जिससे हनुमानजी के मंदिर की शोभा अद्भुत दर्शनीय और अलौकिक छवि युक्त जैसी हो जायेगी।
– ( ॐ हं हनुमते नमः )
3- नैमिषारण्य हनुमान मंदिर –
हनुमानजी राम लक्ष्मण को कन्धे पर बैठाकर यहां से दक्षिण दिशा में प्रस्थान करके लंका की तरफ बढ़े थे । इस हनुमानजी मंदिर के बगल में पाण्डवों का किला है। यहां पांडव 12वर्षो तक रहकर हनुमानजी की पूजा पाठ की । अठ्ठासी हजार ऋषियों की इस तपोस्थली भूमि में चक्रतीर्थ, ललिता देवी मंदिर, व्यास गद्दी, मनु सतरूपा तपोस्थली, अश्वमेध यज्ञ स्थल, शुकदेव टीला आदि विभिन्न दार्शनिक मंदिर इस तपोभूमि में दिखाई पड़ेगी।
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